वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-
लखनऊ- गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है, इसके लिए सरकार तरह तरह के कदम उठा रही है। अब सरकार ने सौ क्विंटल से ऊपर की बिक्री पर भी सत्यापन खत्म कर दिया है, यहां तक कि कोई भी किसान अपनी अनुमानित उपज का तीन गुना गेहूं बिना सत्यापन के सिर्फ पंजीयन कराकर बेंच सकता है।
सरकार की इस व्यवस्था से बिचौलियों की बांछे खिल उठी हैं, क्योंकि इसका फायदा किसान से ज्यादा वह उठाने के लिए तैयार हैं। जिले की बात की जाए तो यहां पर 3.80 लाख जोत आधारित किसान हैं। वर्तमान सीजन में करीब दो लाख हेक्टेयर गेहूं की फसल भी तैयार है।
किसान सरकारी क्रय केंद्र में गेहूं बेंचने से कतरा रहा है, क्योंकि डेढ़ लाख किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण ले रखा है और इनका ऋण जमा नहीं है। किसानों की चिंता यह है कि यदि वह सरकारी कांटे में अपनी फसल बेंचते हैं तो गेहूं बिक्री का पैसा खाते में आते ही बैंक अपना ऋण काट लेगा, ऐसे में उनके हाथ पैसा ही नहीं आएगा। इससे बचने के लिए किसान अपना गेहूं सरकारी क्रय केंद्र में बिक्री करने के लिए पंजीयन नहीं करा रहे हैं, और सरकारी दर से कम में अपना गेहूं बिचौलियों को बेंच रहे हैं।
उधर बिचौलिया इस नए निर्देश का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं वह ऐसे विश्वासपात्र किसानों का पंजीयन करा रहे हैं जो बिक्री का पैसा उन्हें वापस कर सकें। किसान से कम रेट में गेहूं खरीद कर विश्वास पात्र किसानों के नाम से सरकारी क्रय केंद्र में बेंचेगे।
निजी बाजार में रेट ज्यादा-
अगर वर्तमान की बात की जाए तो सरकारी क्रय केंद्र में 2425 रुपये का रेट है, जबकि निजी बाजार में 2550 का रेट मिल रहा है। ऐसे में बिचौलियों का दोहरा फायदा इस तरह से है अभी तो वह निजी बाजार में बिक्री करेंगे, अगर निजी बाजार का मूल्य कम होता है उन्हें सरकारी क्रय केंद्र में 2425 रुपये का रेट तो मिलना तय ही है।
किसान भी निजी दुकान व सरकारी क्रय केंद्र का झंझट खत्म करने के लिए अपनी फसल 2300 रुपये तक में खेत से ही गेहूं बेंच दे रहा है।
जिले में खुलें 73 क्रय केंद्र, पांच हजार पंजीयन-
जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी संजय श्रीवास्तव ने बताया कि जिले भर में गेहूं खरीद के लिए 73 क्रय केंद्र खोले गए हैं। अब तक गेहूं बिक्री के लिए पांच हजार किसानों ने पंजीकरण कराया है। अब तक 16600 क्विंटल गेहूं खरीद की जा चुकी है। मोबाइल यूनिट भी लगाई गयी है जो किसान के घर तक पहुंच कर खरीद कर रही है। बिना सत्यापन के खरीद से किसानों को सुविधा मिली है। क्योंकि किसानों के लिए खुलामंच है ऐसे में बिचौलियों के फायदे के बात करना बेमानी है।